जब अचानक पोस्‍टमार्टम टेबल पर उठ बैठा मुर्दा

जब अचानक पोस्‍टमार्टम टेबल पर उठ बैठा मुर्दा

सेहतराग टीम

ज्‍यादा दिन नहीं हुए हैं जब दिल्‍ली में मैक्‍स अस्‍पताल में जिंदा भ्रूण को मृत बताकर चिकित्‍सकों ने घरवालों के हवाले कर दिया था। इसके बाद इस मामले में हुए हंगामे के बाद दिल्‍ली सरकार ने मैक्‍स अस्‍पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया था मगर अधिकारियों ने इस फैसले को पलट दिया था। अब मध्‍य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में डॉक्‍टरों की भीषण लापरवाही सामने आई है। इस अस्‍पताल के चिकित्‍सकों ने सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल एक व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया। यही नहीं उसके कथित शव को पोस्‍टमार्टम के लिए भी भेज दिया गया। बाद में पोस्‍टमार्टम से ठीक पहले उसके जिंदा होने का पता चला तो आनन-फानन में उसका इलाज शुरू किया गया।

कहां की घटना

बताया जा रहा है कि छिंदवाड़ा शहर के प्रोफेसर कॉलोनी निवासी 24 वर्षीय हिमांशु भारद्वाज चार मार्च को छिंदवाड़ा में ही दुर्घटना का शिकार हुआ था। उसे गंभीर चोटें आई थीं। उसकी गंभीर हालत को देखते हुए छिंदवाड़ा जिला अस्‍पताल से उसे इलाज के लिए नागपुर भेजा गया जहां चिकित्सकों ने उसे ‘ब्रेन डेड’ घोषित कर वापस छिंदवाड़ा भेज दिया। पांच मार्च की सुबह जब उसे छिंदवाड़ा लाया गया तो यहां के डॉक्‍टरों ने उसकी पल्स की जांच की। उस समय उसका पल्स नहीं चल रहा था। इसके चलते उसे मृत घोषित कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।

क्‍या कहते हैं अधिकारी

जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुशील दुबे के अनुसार हिमांशु भारद्वाज को सोमवार की सुबह अस्पताल के डॉक्‍टरों ने मृत घोषित कर मुर्दाघर में पोस्टमॉर्टम के लिए रखवा दिया था। पोस्टमार्टम की तैयारी कर रहे स्वीपर को उसके शरीर में अचानक हरकत महसूस हुई। उसने इसकी जानकारी पोस्‍टमार्टम करने की तैयारी कर रहे डॉक्‍टर को दी। इसके बाद तत्‍काल उसका उपचार शुरू किया। बताया जा रहा है कि हिमांशु को होश आ चुका है और आगे के बेहतर इलाज के लिए उसे फ‍िर नागपुर भेज दिया गया है। डॉक्‍टर दुबे ने बताया कि इस मामले में जो लापरवाही हुई है उसकी जांच की जा रही है और आगे कोई भी कार्रवाई जांच रिपोर्ट आने के बाद ही होगी।

परिजनों की मांग

दूसरी ओर हिमांशु के परिजन संतोष राजपूत ने सरकार से मांग की है कि लापरवाही बरतने वाले चिकित्सकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

हरिद्वार में ऐसी ही लापरवाली ले चुकी है एक जान

गौरतलब है कि इससे पहले ऐसी ही घटना उत्‍तराखंड के हरिद्वार में हो चुकी है। जनवरी में वहां भी ऐसे ही एक मरीज को भेल अस्‍पताल के डॉक्‍टरों ने मृत घोषित कर मुर्दाघर में रखा दिया था और वो वहां 8 घंटे तक जिंदा रहा। उसे मृत घोषित करने के 14 घंटे बाद डॉक्‍टरों ने उसका पोस्‍टमार्टम किया तो पता चला कि उसकी मौत सिर्फ 6 घंटे पहले हुई थी यानी 8 घंटे तक वह व्‍यक्ति जिंदा मुर्दाघर में रहा। अगर इस दौरान उसे सही इलाज मिला होता तो उसकी जान बचाई जा सकती थी।

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